Tuesday, May 24, 2016

“Love Is Like a Virus. It Can Happen To Anybody At Any Time.”

*.@लिख रहा हूँ अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा;*.मेरे लहू का हर एक क़तरा इंक़लाब लाएगा;*.मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि;*.मेरे बाद वतन पे मरने वालों का सैलाब आएगा।*.
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@दिल में अब यूँ तेरे भूले हुये ग़म आते हैं;*.जैसे बिछड़े हुये काबे में सनम आते हैं।*.
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@अजीब रंग का मौसम चला है कुछ दिन से;*.नज़र पे बोझ है और दिल खफा है कुछ दिन से;*.वो और थे जिसे तू जानता था बरसों से;*.मैं और हूँ जिसे तू मिल रहा है कुछ दिनसे।*.
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@बहुत ख़ास थे कभी नज़रों में किसी के हम भी;*.मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर कहाँ लगती है।*.
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@अपनी ज़िन्दगी में मुझ को करीब समझना;*.कोई ग़म आये तो उस ग़म में भी शरीक समझना;*.दे देंगे मुस्कुराहट आँसुओं के बदले;*.मगर हज़ारों में मुझे थोड़ा अज़ीज़ समझना।*.
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कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम;*.उस निगाह-ए-आशना को क्या समझ बैठे थे हम;*.*.रफ़्ता रफ़्ता ग़ैर अपनी ही नज़र में हो गये;*.वाह री ग़फ़्लत तुझे अपना समझ बैठे थेहम;*.*.होश की तौफ़ीक़ भी कब अहल-ए-दिल को हो सकी;*.इश्क़ में अपने को दीवाना समझ बैठे थेहम;*.*.बेनियाज़ी को तेरी पाया सरासर सोज़-ओ-दर्द;*.तुझ को इक दुनिया से बेगाना समझ बैठे थे हम;*.*.भूल बैठी वो निगाह-ए-नाज़ अहद-ए-दोस्ती;*.उस को भी अपनी तबीयत का समझ बैठे थे हम;*.*.@हुस्न को इक हुस्न की समझे नहीं और ऐ'फ़िराक़';*.मेहरबाँ नामेहरबाँ क्या क्या समझ बैठे थे हम।
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वो कभी मिल जाएं तो क्या कीजिये;*.रात दिन सूरत को देखा कीजिये;*.चाँदनी रातों में एक एक फूल को;*.बेखुदी कहती है सज़दा कीजिये।
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कुछ मतलब के लिए ढूँढते हैं मुझको;*.बिन मतलब जो आए तो क्या बात है;*.@कत्ल कर के तो सब ले जाएँगे दिल मेरा;*.कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है।
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तेरी यादें भी न मेरे बचपन के खिलौने जैसी हैं;*.तन्हा होता हूँ तो इन्हें लेकर बैठ जाता हूँ।*.*.
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@अपनी ज़िन्दगी का अलग उसूल है;*.प्यार की खातिर तो काँटे भी कबूल हैं;*.हँस के चल दूँ काँच के टुकड़ों पर;*.अगर तू कह दे



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